गीतांजलि श्री का जीवन परिचय| Geetanjali shree biography in hindi

गीतांजलि श्री की बायोग्राफी

गीतांजलि श्री ( Geetanjali shree biography in hindi ) हिंदी साहित्य की प्रख्यात लेखिका है। 27 मई 2022 को साहित्य जगत के सबसे प्रातिष्ठित पुरस्कार बुकर से गीतांजलि को पुरस्कृत किया गया है। हिंदी साहित्य और भारतीय भाषाओं के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी हिंदी की कृति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया है । इस तरह गीतांजलि श्री ने बुकरप्राइज को प्राप्त करके इतिहास रच दिया है। उनका जीवन ( Geetanjali shree biography in hindi ) आज हिन्दी ही नहीं भारत के सम्पूर्ण साहित्य जगत के लिए प्रेरणा बन गया है ।

Geetanjali shree biography in hindi
Geetanjali shree biography in hindi

गीतांजलि श्री कौन है ? Who is Geetanjali shree ?

गीतांजलि श्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश केमैनपुरी की निवासी हैं । जो वर्तमान में दिल्ली में रह रही हैं । गीतांजलि का जन्म 12 जून 1957 को मैनपुरी में हुआ । गीतांजलि का मूल नाम गीतांजलि पांडे था, उन्होंने अपनी मां का सरनेम श्री अपने नाम के साथ बाद में जोड़ लिया । वह एक उपन्यासकार और लघु कहानी लेखक हैं उन्होंने शिक्षण कार्य, शोध कार्य और नाटकों के लेखक के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं ।

Geetanjali shree biography in hindi

लेखिका गीतांजलि श्री
मूल नाम गीतांजलि पांडे , बाद में माँ का सरनेम श्री लगा लिया
जन्म12 जून 1957
पिताअविनाश लेंका
माँप्रियथामा
पुरुस्कार2022 का अंतराष्ट्रीय बुकर पुरुस्कार
रचनाTomb of sand (रेत समाधि) का अग्रेज़ी अनुवाद

बुकर पुरुस्कार जीतने के बाद गीतांजलि जी का इंटरब्यू-

गीतांजलि श्री की शिक्षा | Education of Geetanjali shree

गीतांजलि ने अपनी शिक्षा उत्तर प्रदेश में प्रदेश से ही पूरी की । अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गई । दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की । स्नातक के बाद दिल्ली के ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास में m.a. किया ।

गीतांजलि श्री का कार्यक्षेत्र | Profession of Geetanjali shree

गीतांजलि ने वडोदरा से पीएचडी करने के बाद कुछ समय जामिया मिलिया इस्लामिया में शिक्षण का कार्य किया , यहां से अध्यापन के बाद गीतांजलि ने सूरत से पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च की । यहीं से उन्होंने साहित्य लेखन का कार्य भी प्रारंभ किया ।

गीतांजलि श्री की साहित्यिक रचनाएं

गीतांजलि श्री एक उपन्यासकार और लघु कथाकार हैं । 1987 में उनकी प्रथम रचना बेलपत्र, हंस पत्रिका में छपी और 1991 में अनुगुण नाम से लघुकथा संग्रह का प्रकाशन हुआ।

उनको पहली ख्याति और पहचान उनके माई उपन्यास के अंग्रेजी अनुवाद से प्राप्त हुई । माई उपन्यास उत्तर भारतीय मध्य वर्ग की महिला और पुरुष की तीन पीढ़ियों के ऊपर आधारित है । उनके अन्य उपन्यास – हमारा शहर बनारस, खाली जगह, रेत समाधि, वैराग्य, यहां हाथी रहते थे, अनुगूंज, मार्च मा और शाकुरा हैं ।

गीतांजलि श्री को प्राप्त सम्मान

  • इंदु कथा सम्मान
  • हिंदी अकादमी साहित्यकार सम्मान
  • संस्कृति मंत्रालय की फैलोशिप
  • जापान फाउंडेशन की फेलोशिप
  • अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022

गीतांजलि को बुकर पुरस्कार | booker prize Geetanjali shree

गीतांजलि को 2022 का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान बुकर पुरस्कार दिया गया है । यह पहली बार है जब भारतीय भाषा साहित्य को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुआ है । हिंदी की साहित्यकार और एक महिला के रूप में यह सम्मान कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है । गीतांजलि को यह पुरस्कार उनकी रचना रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद टोम्ब ऑफ सैंड के लिए दिया गया है ।

रेत समाधि का अंग्रेजी अनुवाद (टोम्ब ऑफ सैंड) अनुवादक डेजी राकवेल ने किया है । यह उपन्यास भारत विभाजन की त्रासदी पर आधारित है यह एक 80 वर्षीय महिला की कथा है जो अपने परिवार की याद में पाकिस्तान की यात्रा करती है ।

सारांश

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