श्री अन्न योजना | shree anna yojana

मोटे अनाज जिन्हें सुपरफूड भी कहा जाता है । भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राचीन समय से भोजन का मुख्य भाग रहे हैं । इनमें मौजूद पोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण ही इन्हें सुपरफूड कहा जाता है । अन्य श्री योजना के माध्यम से भारत सरकार का लक्ष्य इन मोटे अनाजों को घर घर तक पहुंचा कर देश में मौजूद कुपोषण और भुखमरी को मिटाना है । साथ ही देश में व्यापक स्तर पर मोटे अनाजों का उत्पादन कर वैश्विक स्तर पर निर्यात करके किसानों की आर्थिक स्थिति को और अधिक मजबूत करना है

मोटे अनाजों में ऐसा क्या है जिस कारण इन्हें श्री अन्य कहा जा रहा है ?, इन्हें सुपर फूड क्यों कहा जाता है?, यह सभी के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?, इनसे कुपोषण और भुखमरी कैसे मिट सकती है?, कैसे मोटे अनाज भारत में मौजूद बेरोजगारी के लिए रोजगार की एक नई राह खोल सकते हैं ? इस लेख के माध्यम से आपको इन सभी प्रश्नों के जवाब प्राप्त होंगे।

श्रीअन्न योजना की भूमिका

केंद्रीय बजट 2022-23 को प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाजों को श्रीअन्न की संज्ञा दी ।भारत को मोटे अनाजों के प्रचार प्रसार में अग्रणी देश बताया , भारत श्रीअन्न अर्थात मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है । संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भारत के प्रस्ताव पर ही 2023 को मोटे अनाज का वर्ष2023 year of millets” घोषित किया है।

योजना का नाम श्रीअन्न योजना
घोषणा 2022-23 के बजट भाषण में वित्त मंत्री के द्वारा
मंत्रालय कृषि मंत्रालय
श्रीअन्न का अर्थ मोटे अनाज
योजना का उद्देश्य मोटे अनाजों के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा इनका उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाना कुपोषण को हटाना तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करना
मोटे अनाज में भारत का स्थान भारत मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
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श्रीअन्न क्या है?

वित्त मंत्री मैं अपने बजट भाषण में मोटे अनाजों को श्रीअन्न कहा । जिनमें -ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कुट्टी आदि को शामिल किया जाता है।

श्रीअन्न योजना क्या है?

श्री अन्य योजना को मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ किया गया है । भारत में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाकर देश को मोटे अनाजों का हब बनाया जाएगा , इसके साथ ही शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए देश में मिलेट रिसर्च सेंटर Millet Research center की स्थापना की जाएगी । यूएन ने भी भारत के प्रस्ताव पर 2023 को मोटे अनाज का वर्ष नामित किया है।

मोटे अनाज भारत में लंबे समय से बड़े स्तर पर उगाए जाते रहे हैं तथा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। परंतु हरित क्रांति के आने के बाद गेहूं और चावल के रकबे में व्यापक वृद्धि होने से मोटे अनाजों के उत्पादन और व्यापार का दायरा भी काफी सीमित हो चुका है। श्रीअन्न योजना के माध्यम से सरकार का प्रयास मोटे अनाजों के क्षेत्रफल को पुनः बढ़ाने और व्यापक उत्पादन करने का है।

श्रीअन्न के अंतर्गत मोटे अनाज

ज्वार , बाजरा रागी,सावां,कनगी,चीना,कोदो, कुटकी और कुट्टी के दानों आदि को इसमें शामिल किया गया है।

श्रीअन्न की विशेषताएं | मोटे अनाजों की विशेषताएं

  • यह अनाज जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल होते हैं अर्थात जलवायु परिवर्तन से कम प्रभावित होते हैं।
  • इनके उत्पादन में कम लागत आती है।
  • यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं ‌‌।
  • कम उर्वर और ऊसर मृदा में भी अच्छा उत्पादन देते हैं।
  • कम लागत और कम मेहनत में भी अच्छा उत्पादन देते हैं।
  • यह किसानों के मित्र माने जाते हैं।
  • भुखमरी और कुपोषण का सबसे अच्छा समाधान है।
  • ये अनाज प्रोटीन, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीज फास्फोरस, पोटेशियम और विटामिन बी कंपलेक्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
  • यह अनाज ग्लूटीन फ्री होते हैं।
  • ग्लाइसेमिक इंडेक्स में लो होते हैं।
  • प्रोटीनों, फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
  • यह डायबिटीज, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से बचाते हैं।
  • यह कोलेस्ट्रॉल घटाने और मोटापा कम करने में भी मददगार होते हैं।

श्री अन्न योजना के आर्थिक लाभ | मोटे अनाजों के आर्थिक लाभ

  • किसानों की आय बढ़ेगी।
  • निर्यात से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
  • रोजगार के नए अवसर विकसित होंगे।
  • मोटे अनाज की सप्लाई चेन विकसित होने से ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।
  • स्वरोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे और बेरोजगारी कम होगी।

श्री अन्न योजना की कमियां

  • भारत में हरित क्रांति के बाद से गेहूं,चावल और गन्ने जैसी नगदी फसलों की खेती पर अधिक जोर दिया गया है जिससे फसल चक्र विकृत हो चुका है इस पर योजना में ध्यान नहीं दिया गया है।
  • किसानों में मोटे अनाजों के संबंध में जागरूकता की भारी कमी है । किसानों को जागरूक करने और मोटे अनाजों के संबंध में वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार की सर्वाधिक आवश्यकता है।
  • भारत में उर्वरक प्रयोग के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में सही और सटीक जानकारी की भारी कमी है । आज भी लोगों में उर्वरकों के प्रयोग के प्रति वैज्ञानिक सोच विकसित नहीं हुई है।योजना को इस संबंध में भी ध्यान देना चाहिए।

इस योजना के बारे में आप hindimusk.com पर पढ़ रहे हैं। इसे भी पढ़ें –पीएम श्री योजना , अपग्रेड होंगे 14,500 स्कूल

श्रीअन्न में शामिल मोटे अनाजों के बारे में विस्तृत जानकारी-

  1. ज्वार ग्लूटेन फ्री होता है और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है मधुमेह के रोगियों के लिए यह बहुत अच्छा भोजन होता है और उनके लिए पोषण का अच्छा स्रोत भी है।
  2. बाजरा– बाजरा रागी के बाद सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला मोटा अनाज है यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है विटामिन बी सिक्स फोलिक एसिड आदि से भरपूर होता है यह खून की कमी अर्थात एनीमिया को कम करने में लाभदायक होता है।
  3. रागी– रागी कैल्शियम का प्राकृतिक स्रोत है या बढ़ती बच्चों की हड्डियों को मजबूत करने में मददगार होता है मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए उत्तम भोजन का कार्य करता है।
  4. सवां या समां –यह एक तरह का चावल माना जाता है यह फाइबर और लौहतत्व से भरपूर होता है यह एसिडिटीघटाता है पेट की कब्ज दूर करता है और एनिमिया को भी कम करता है।भारत मैं अधिकांश लोग इसे व्रत के रिहान में प्रयोग करते हैं इसलिए इसे व्रत का चावल भी कहते हैं।
  5. कोदो-  कोदो फाइबररिच मोटा अनाज है।यह घोंघे,पाइल्स,Rosacea जैसी बीमारियों में फायदेमंद होता है।
  6. कुटकी- कुटकी एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोतहोता है।इसमें मैग्नीशियम उपस्थित होता है।यह कॉलेस्ट्रॉलमें नियंत्रण करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
  7. कुट्टू- यह अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक होता है इसमें उपस्थित अमीनो एसिड बालों को झड़ने से बचाते हैं ‌‌।

श्रीअन्न से किसानों को लाभ-

उत्पादन में आसानी

  1. मोटे अनाजों के उत्पादन में खर्च कम आता है।
  2. कम पानी वाले क्षेत्रों में जैसे मरुस्थल, ऊसर क्षेत्रों में ही अच्छा उत्पादन देते हैं।
  3. इन फसलों में बीमारियां भी कम लगती है। जिस कारण इनकी खेती में उर्वरकों की भी कम आवश्यकता पड़ती है।

आय में वृद्धि

  1.  मोटे अनाजों की खेती में कम श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
  2.  मोटे अनाजों की खेती में कम पानी की जरूरत पड़ती है ; बिजली और सिंचाई साधनों की बचत होती है।
  3.  भारत में कृषि भूमि का केवल 25-30 परसेंट क्षेत्र ही सिंचित है यह आंशिक रूप से सिंचित है।
  4.  अनुपजाऊ जमीन को भी उपजाऊ बनाकर कम समय में मोटे अनाजों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

मोटे अनाजों के उत्पादन और प्रसार में भारत का योगदान

  • भारत मोटे अनाजों के बारे में विश्व भर में लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • भारत मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • वर्तमान में लगभग सारे मोटे अनाज भारत से निर्यात किए जाते हैं
  • भारत ने यूएन में 2023 को मोटे अनाजों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित करवाकर मोटे अनाजों की श्रेष्ठता को पुनः स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किया है ।
  • दिल्ली में आयोजित जी 20 मीटिंग में भी मोटे अनाजों से बने व्यंजनों को ही सर्व किया जाएगा।

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