महात्मा गांधी के अनमोल विचार | quotes of mahatma gandhi

         महात्मा गांधी का बचपन भारत में बीता, उन्होंने उच्च शिक्षा इंग्लैंड से ली तथा दक्षिण अफ्रीका और भारत में उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष किया । साम्राज्यवादी और उपनिवेशवादी ताकतों के विरुद्ध वे असीम जिजीविषा से लड़े । महात्मा गांधी के विचार समन्वयवादी विचार हैं । गांधीजी तत्कालीन समय में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो पूर्व और पश्चिम की सभ्यता और संस्कृति से अच्छे से परिचित थे ।

पूर्व व पश्चिम दोनों की सभ्यता, संस्कृति और दर्शन की उनको अच्छी समझ थी । तथा जो विचार उन्होंने ग्रहण किए थे, सामान्य जनमानस की हक की लड़ाई लड़ कर उन्होंने उन विचारों का निजी अनुभव भी प्राप्त किया था।सत्याग्रह, सत्य, अहिंसा, ट्रस्टीशिप, स्थानीय प्रशासन आदि के संबंध में जो भी उनके विचार हैं उनकी गहरी समझ उनको थी । यही कारण है आज भी विभिन्न विषयों पर उनके विचारों (quotes of mahatma gandhi) और मत की वैश्विक रूप से व्यापक स्वीकार्यता है ।

यहां उनके इन्हीं विचारों को प्रस्तुत किया गया है । जो सर्वस्वीकार्य और सर्वकालिक हैं और आज भी उतने ही प्रासंगिक है-

quotes of mahatma gandhi

1)साहस courage-

जिस काम को करने में डर  लगता है उसको करने का नाम ही साहस है।

मुठ्ठीभर संकल्पवान लोग,जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ आस्था है,

इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।

Courage is the name of doing the work which one feels afraid to do.

A handful of determined people, who have strong faith in their goal,

Can change the course of history.

2)युद्ध /शांति  war/peace-

आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।

In exchange for the eye, the eye will make the whole world blind.

3)स्वशासन self-government-

अगर हिंदुस्तान में हर एक गाँव  में कभी पंचायती राज कायम

हुवा तो मैं अपनी इस तस्वीर की सच्चाई साबित कर सकूँगा ,

जिसमें  सबसे पहला और सबसे आखिरी दोनों बराबर होंगे या योँ

कहिये की न तो कोई पहला होगा , न आखिरी।

If Panchayati Raj was ever established in every village in India

If so, I will be able to prove the truth of this picture of mine,

In which both the first and the last will be equal or else

Say that neither one will be the first, nor the last.

4)-धर्म और राजनीती Religion and politics-

मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि धर्म का राजनीती से कोई सम्बंध

नहीं है। धर्म से विहीन राजनीती मृतक शरीर के तुल्य है,

जो केवल जला देने योग्य है।

I do not agree that religion has nothing to do with politics. Politics without religion is like a dead body, which only deserves to be burnt.

5)-राजनीति /लोकतंत्र  Democracy-

बहुमत का शासन जब जोर जबरदस्ती का  शासन हो जाय तो वह

उतना ही असहनीय हो जाता है जितना की नौकरशाही का  शासन।

Rule of the majority When there is forceful rule, it
It becomes as intolerable as bureaucratic rule.

6)-राष्ट्रभाषा national language-

राष्ट्भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा  है।

Nation is dumb without national language

7)सत्य truth

सत्य आत्मनिर्भर है वह लोगो के समर्थन के बिना भी टिका रहता है।
सत्य से बड़ा कोई ईश्वर नहीं है।

Truth is self-sufficient, it survives even without the support of the people.
There is no god greater than truth.

8)मीडिया Press-

प्रेस प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ है। यह निश्चय ही एक शक्ति है,
पर इसका दुरूपयोग करना अपराध है।

Press is the fourth pillar of democracy. It’s definitely a force,
But abusing it, is a crime.

9)प्रेरणा inspiration-

आशा अमर है, उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती।

Hope is eternal, its adoration never fails.

10)स्वतंत्रता freedom-

जिस स्वतंत्रता में गलती कर पाने का अधिकार शामिल नहीं हो
उस स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं है।

freedom that does not include the right to make mistakes
That freedom has no value.

11)गरीबी Poverty-

गरीबी हिंसा का सबसे विकृत रूप है।

Poverty is the worst form of violence.

12)न्याय justice-

इंसाफ के न्यायालयों से भी ऊपर एक न्यायलय है और वह है अन्तःकरण का न्यायालय।
यह संसार के दूसरे सभी न्यायालयों से ऊपर है।

There is one court above the courts of justice and that is the court of conscience. It is above all other courts in the world.

13)विज्ञान Science-

विज्ञान क विज्ञान तभी कह सकते हैं जब वह सरीर मन और
आत्मा की भूख मिटने की पूरी ताकत रखता हो।

Science can be called science only when it has full power to satisfy the hunger of body, mind and soul.

14)क्रोध Anger-

क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।

Anger is a kind of momentary madness.

15)सभ्यता Civilization-

सभ्यता को अल्पसंखयको के साथ हो रहे व्यवहार से आँका जा सकता है।

Civilization can be judged by the treatment of minorities.

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           प्रत्येक महापुरुष अपने समय का परिणाम होता है उस कालखंड में जो संघर्ष होते हैं , उन्हीं की अभिव्यक्ति के लिए समय कवि, संत और सुधारक को जन्म देता है । गांधीजी की ओर सबका ध्यान इसलिए अधिक जाता है क्योंकि उन्होंने पाशविक बल के विरुद्ध अहिंसा और आत्म बल का प्रयोग किया तत्कालीन अत्याधुनिक हथियारों के विरुद्ध अहिंसा और सत्याग्रह का प्रयोग किया ।

यह बेशक विचार करने योग्य विषय है कि उन्होंने अहिंसा का ही सहारा क्यों लिया, क्या इसलिए कि हिंसा का आश्रय लेकर वे संघर्ष करने में समर्थ नहीं थे या फिर वे मानव समाज को अपने संघर्ष के माध्यम से एक विशेष संदेश देना चाहते थे कि हिंसा और पाशविकता मानवता का भविष्य नहीं है, ना ही उसे वर्तमान होना चाहिए ।

आज के संदर्भ में देखा जाए तो परिवर्तन केवल इतना हुआ है कि शासन का देशीकरण हो गया है परंतु विचारों में तथा कर्म में वह सारे तत्व शासक वर्ग में और जनमानस की चेतना में गहराई से मौजूद है जिनसे वास्तव में गांधीजी संघर्ष कर रहे थे । यहीं पर उनके विचारों की प्रासंगिकता हमें समझ आती है । समाज को सर्वप्रथम यह समझना आवश्यक है कि हमारी लड़ाई/ हमारा संघर्ष किससे है और हमें किस पर विजय प्राप्त करनी है, ताकि हमारी विजय वास्तव में हमारी विजय हो सके; हमारा संघर्ष सफल हो और जो समय और संसाधन हम इसमें खर्च कर रहे हैं वो भी सार्थक हो पाएं । इस प्रकार गांधी जी के विचार ( quotes of mahatma gandhi ) सबके लिए अनुकरणीय हैं ।

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