बाल श्रम की बढ़ती और भयावह होती स्थिति को खत्म करके बच्चों को अच्छी शिक्षा की ओर आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बाल श्रम विद्या योजना (Bal Shramik Vidya yojana) प्रारंभ की है।
बचपन जीवन का सबसे सुनहरा दौर समय होता है। अच्छा बच्चन सभी बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है, जो माता पिता के प्यार और देखरेख में सबको मिलना चाहिए परंतु आज लाखों बच्चे ऐसा जीवन जी रहे हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। बाल श्रम ने बहुत से बच्चों का बचपन छीना है। हर वर्ष हम 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाते हैं। बाल श्रम से बच्चों में विभिन्न विकृतियां आ जात हैं, जैसे उचित शारीरिक वृद्धि न होना, दिमाग का अनुपयुक्त विकास, सामाजिक और बौद्धिक रूप से अस्वस्थता आदि समस्याएं बच्चों को भविष्य में देश और समाज का खतरनाक नागरिक बनाती है ।
इस लेख के माध्यम से आपको बाल श्रम विद्या योजना के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी। बाल श्रम विद्या योजना क्या है? योजना की पात्रता, योजना का उद्देश्य, योजना का लाभ विशेषताएं,योजना की चुनौतियां,आगे की राह (way forward)
बाल श्रम विद्या योजना क्या है?
बालश्रम की खराब स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 8 से 18 वर्ष के ऐसे बच्चों के लिए जो बाल श्रम के चलते विद्यालय नहीं जा सके, के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना प्रारंभ की है (इसमें अनाथ बेसहारा बच्चे सामिल हैं)।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा “ऐसे बच्चे जिन्हें स्कूल में होना चाहिए परंतु वह बाल श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे हैं उनके लिए बाल श्रम विद्या योजना आरंभ की जा रही है।”
बाल श्रमिक विद्या योजना में 8वीं, 9वीं और 10वीं में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष 6000 की अतिरिक्त सहायता राशि दी जाएगी । योजना के अनुसार योजना के प्रथम चरण में 57 जिलों में सर्वाधिक कामकाजी बच्चे रिकॉर्ड किए गए हैं। यहां 2000 बच्चों का चयन करके बाल श्रमिक विद्या योजना प्रारंभ की जा रही है। इसे भी पढ़ें -यूपी पंचामृत योजना क्या है Panchamrut Yojana लाभ एवं पात्रता, आवेदन प्रक्रिया
योजना | Bal Shramik Vidya yojana |
सरकार | उत्तर प्रदेश |
पात्रता | उत्तर प्रदेश के बल श्रम से जुड़े बच्चे |
उद्देश्य | बाल श्रम को खत्म करके बच्चों को शिक्षित करना |
घोषणा | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ |
बाल श्रमिक विद्या योजना की पात्रता
योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित पात्रता आवश्यक है-
- प्रारंभ में योजना कुछ चुनिंदा जिलों में प्रारंभ शुरू होगी फिर अन्य जिलों में । इसलिए जिन जिलों में यह लागू है, वही लोग आवेदन कर सकेंगे ।
- आवेदक को उत्तर प्रदेश का स्थाई निवासी होना आवश्यक है ।
- आवेदक की उम्र 8 से 18 वर्ष के बीच होनी चाहिए ।
- अनाथ बच्चे और श्रमिकों के बच्चे तथा दिव्यांग बच्चे योजना में आवेदन कर सकते हैं ।
बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्देश्य
बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्देश्य –बाल श्रम को खत्म करके बच्चों के सुंदर और उज्जवल भविष्य हेतु उन्हें शिक्षा से जोड़ना है । इसलिए यह योजना बाल कल्याण और सामाजिक न्याय दोनों क्षेत्रों के लिए एक क्रांतिकारी सुधार का प्रयास है। इस योजना से समग्र रूप में बच्चों का भविष्य सुधरेगा उनके माता-पिता का बोझ कम होगा तथा संपूर्ण रूप में समाज एक सुंदर समाज के रूप में बदलेगा यह पढ़े-लिखे बच्चे गरीब या अपराधी नहीं बनेंगे बल्कि देश के लिए एक उपयोगी मानव पूंजी का कार्य करेंगे। इसे भी पढ़ें – PM SHRI Yojana: पीएम श्री योजना की हुई शुरुआत, अपग्रेड होंगे 14,500 स्कूल
बाल श्रमिक विद्या योजना का लाभ/विशेषताएं
- इस योजना से बच्चों को आर्थिक मदद प्राप्त होगी, जिससे वे अपनी शिक्षा जारी रख सकेंगे।
- आर्थिक मदद प्राप्त होने से बच्चों पर जिम्मेदारी का बोझ कुछ कम होगा।
- योजना से संविधान में उल्लेखित सामाजिक न्याय की संकल्पना का उद्देश्य पूर्ण होगा।
- इस योजना से संविधान में स्वतंत्रता भाग में उल्लिखित शोषण के विरुद्ध अधिकार में बच्चों को अधिकार प्राप्त होंगे।
- अच्छी शिक्षा प्राप्त करके यह बच्चे सभ्य और शिक्षित नागरिक बनेंगे।
- बाल श्रम के कम होने से समाज में एक कुरीति का अंत होगा।
बाल श्रमिक विद्या योजना की चुनौतियां
- 6000 रुपए सालाना की धनराशि बच्चों की सभी शैक्षणिक और पारिवारिक खर्चों की तुलना में बहुत कम धनराशि है।
- केवल आर्थिक सहायता देने से जबरन कराए जाने वाले बाल श्रम को नहीं रोका जा सकता है।
- कई मामलों में देखा गया है बाल श्रम करवाने के पीछे बड़े और शक्तिशाली शातिर गिरोह कार्यरत होते हैं। इन्हें पकड़ना और दंडित करना आवश्यक है।
- बड़ी संख्या में अनाथ और बेघर बच्चों की आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होते इन बच्चों को इस योजना की जागरूकता भी शायद ही होगी।
- योजना में ऐसे बच्चों की लिस्टिंग और समय-समय पर मॉनिटरिंग का प्रावधान नहीं है कोई समय बाद होने वाले ड्रॉपआउट के बारे में भी सोचा जाना चाहिए।
आगे की राह (way forward)
- सबसे पहले बाल श्रमिकों का सही-सही डाटा तैयार किया जाना चाहिए।
- योजना के अंतर्गत लाभान्वित बच्चों की समय-समय पर निगरानी भी होनी चाहिए।
- जिन बच्चों के पास दस्तावेज नहीं है सरकार को इसमें भी मदद करनी चाहिए।
- योजना में सामाजिक संस्थाओं को भी साथ में जोड़ा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
बाल कल्याण और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में यह योजना उत्तर प्रदेश राज्य का एक उल्लेखनीय प्रयास है सरकार को चाहिए कि योजना की समुचित जानकारी जनता तक पहुंचाकर उन्हें जागरूक किया जाए ताकि अधिक से अधिक बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो सकें।
1. बाल श्रमिक विद्या योजना किस सरकार की योजना है ?
उत्तर प्रदेश सरकार
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